दिवाली या दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय का एक धार्मिक त्यौहार है जो कि भारत वर्ष के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है। दिवाली के दिन सम्पूर्ण भारत वर्ष में सारे घरों में दिए जलाये एवं प्रकाश किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन अपने करीबी रिश्तेदारों और प्रियजनों को उपहार दिए बिना और पूजा के बिना दिवाली का त्यौहार अधूरा है। दीपावली कि संध्या पर लोग पूजा करते हैं, नए कपडे पहनते हैं एवं आतिशबाज़ी का आनंद लेते हैं। यह त्यौहार वर्ष के सबसे सुन्दर और आनंददायक समय में से एक है। इस दिन पूरे भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है ताकि समस्त देश वासी अपने अभिन्न मित्रों एवं परिवार के साथ आनंद ले सकें।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, दीपावली मनाने के कई कारण हैं जैसे कि लोगों का ये मानना है कि जो वह इस त्यौहार पर करेंगे वही पूरे वर्ष करेंगे। इसीलिए धनतेरस पर खरीददारी की जाती है, लोग दोस्ती करते हैं, मिठाइयां बांटते है, घर को साफ़ करते हैं एवं सजाते हैं इत्यादि। जो शिक्षक हैं वे नियमित कक्षाएं लेते हैं और विद्यार्थी अधिक से अधिक अध्ययन करते हैं, और जो व्यवसायी हैं वे अपने खातों को ठीक कर लेते हैं।
ऋषि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण के अनुसार, दीपावली के ही दिन भगवान् श्री राम वर्षों का वनवास पूर्ण करने के पश्चात एवं रावण का वध करने के बाद अपनी पत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ अपने नगर अयोध्या पहुंचे थे और इसी कारण अयोध्या निवासियों ने पूरे नगर को प्रकाशमान किया था और आतिशबाजी की और तभी से दीपावली का त्यौहार मनाये जाने लगा।
ऐसा माना जाता है की पौराणिक समय में जब असुरों और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था तब देवी लक्ष्मी क्षीर सागर में से कार्तिक मास की पूर्णिमा को ब्रम्हांड में अवतरित हुई थी और इसी कारण से माता लक्ष्मी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार एक बहुत ही बलशाली राजा बाली था जो समस्त लोकों पर आधिपत्य जमाना चाहता था। उसे स्वयं भगवान विष्णु से कई शक्तियों का वरदान प्राप्त था। पूरी धरती पर दरिद्रता थी क्योंकि सम्पूर्ण धन पर राजा बाली का नियंत्रण था। तब स्वयं भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को उसके बंधन से छुड़ाया था और भगवान के बनाये नए नियमों की पालना करने के लिए तीनो लोकों को बचाया था और तभी से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार, एक बहुत ही महान और बुद्धिमान राजा विक्रमादित्य थे जो कि काफी साहसी और पराक्रमी राजा थे। उनके राज्य के नागरिकों ने काफी भव्यता के साथ उनका राज्याभिषेक किया और उनके राजा बनने कि घोषणा कर दी और इसी दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
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