महाशिवरात्रि व्रत 2021 – Mostly Mahashivratri vrat & festival is observed in February or March month. 2021 Maha Shivratri vrat brings happiness for Lord Shiva devotees. Today we will explain shivratri puja vidhi, vrat story, how to celebrate festival, best time for puja etc.
वैसे तो हर माह में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि आती है। परन्तु 12 शिवरात्रियों में से फाल्गुन मास की सबसे बड़ी मानी जाती हैं इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता हैं। इस दिन को भगवान शिव शंकर की साधना, भक्ति, आराधना, तपस्या, पूजा आदि के लिए सर्वोत्तम माना जाता हैं। इस पावन दिन को कश्मीरी शेव मत में हर-रात्रि और ‘हेराथ’ या ‘हेरथ’ के नाम से भी जाना जाता है।
Mahashivratri Festival के अवसर पर भगवन शिव को प्रसन्न करने वाली शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।
सभी को प्रतीक्षा है और सभी भक्त जानना चाहते है की, शिवरात्रि कितनी तारीख की है?
2021 Shivratri details: यहाँ हम देखेंगे महा शिवरात्रि की दिनांक पूजा के शुभ मुहूर्त और Shivaratri fasting timings के बारे में।
Mahashivratri Date | Day | Chaturdashi Tithi Time |
11-03-2021 | Thursday (गुरुवार) | Begins– 02:39 PM on March 11 Ends– 03:02 PM on March 12 |
हर साल की तरह इस बार भी भगवान भोलेनाथ की साधना का दिन महाशिवरात्रि का पर्व (Festival) अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ११ मार्च, २०२१ को हिन्दू तिथि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जायेगा।
महाशिवरात्रि गुरुवार दिनांक 11 मार्च को दोपहर में 2 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी कि शुक्रवार 12 मार्च, 2021 को शाम 3:02 बजे तक रहेगी।
रात्रि प्रहर की पूजा का समय शाम 6:27 से रात्रि काल से रहेगा तथा भक्त रात्रि प्रहर की पूजा के साथ दूसरे दिन प्रातः मंदिरों में महादेव शिव शंकर की पूजा विधि-विधान पूर्वक कर पुण्य प्राप्त कर सकते है।
1st – First Prahar Puja Time – 06:27 PM to 09:29 PM (11 March, 2021)
2nd – Second Prahar Puja Time – 09:29 PM to 12:31 AM (11-12 March, 2021)
3rd – Third Prahar Puja Time – 12:31 AM to 03:32 AM (12 March, 2021)
4th – Fourth Prahar Puja Time – 03:32 AM to 06:34 AM (12 March, 2021)
रात्रि प्रहार का पूजा समय अपनी लोकेशन के अनुसार अलग हो सकता है
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पारण मुहूर्त 12 मार्च प्रातः 6:36 बजे से दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
2021 की महाशिवरात्रि पर रहेगा शिव योग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग साथ ही इस बार शिवरात्रि पर पंचक भी रहेंगे साथ।
ध्यान रखे – पंचक काल के दौरान लकड़ी एकत्रित करना, चारपाई क्रय करना अथवा नई बनवाना, घर की छत का निर्माण तथा दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा व आराधन द्वारा शनि और शुक्र से पीड़ित जातकों को दुःखों से मुक्ति मिलेगी।
शिवपुराण के अनुसार, देवी पार्वती और महादेव की पूजा के लिए यह दिन बहुत महत्व का होता है। विभिन्न वेबसाइट पर और विकिपीडिया पर उपलब्ध Mahashivratri information in Hindi की जानकारी के हिसाब से इस महा शिवरात्रि पर्व के बहुत सारे धार्मिक पौराणिक महत्त्व है जो हमें बताते है की यह उत्सव हम क्यों मानते है। आइये importance of Maha Shivratri पर एक नजर डालते है।
“फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि।
– ईशान संहिता
शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:।
तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि:”
उपरोक्त ईशान संहिता के संस्कृत श्लोक के अनुसार, देवों के देव महादेव भगवान शिव लिंगरूप में सूर्य की तरह कभी समाप्त नहीं होने वाली आभा के साथ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को प्रकट हुए थे। इसलिए इस महाशिवरात्रि व्रत की रात को सिद्धि की रात या कालरात्रि के रूप में भी जाना जाता हैं।
इस दिन को महादेव भगवान शिव और देवी पार्वती माता के विवाह के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है तथा शिव भक्तों द्वारा इस दिन भजन कीर्तन, शिव पार्वती पूजा आदि का आयोजन धूमधाम से किया जाता है।
महा शिवरात्रि की कथा के बारे में अनेक स्थानों पर अलग-अलग वर्णन मिलता है। यहाँ हम केवल 2 Shivratri Vrat Katha का उल्लेख करेंगे।
देव और असुरों द्वारा अमृत प्राप्ति हेतु समुंद्र मंथन किया जा रहा था। विभिन्न रत्न और दिव्य शक्तियों को बारी-बारी से देवता और असुर आपस में बाँट रहे थे की अचानक सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नष्ट कर सकने वाला हलाहल विष (ज़हर) मंथन के दौरान समुन्द्र की गहरायी से निकला। इस शक्तिशाली जहर से सभी की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने इसे पी लिया।
विष बहुत घातक था शिवजी का कण्ठ इससे नीला पड़ गया। देव चिकित्सकों ने महादेव को जागने की सलाह दी। सभी देवताओं ने उनको जगाये रखने के लिए संपूर्ण रात्रि नृत्य संगीत, भजन आदि का आयोजन किया और नीलकंठ महादेव ने विष पर काबू कर लिया और सभी को आशीर्वाद दिया तब से यह दिन शिवरात्रि के रूप में जाना जाने लगा। जय नीलकंठ महादेव नाथ की जय।
इस Maha Shivaratri Story के अनुसार, चित्रभानु नाम के शिकारी को एक साहूकार ने कर्ज नहीं चुकाने के कारन शिवमंदिर में कैद कर लिया। शिकारी ने वहां शिव व्रत की कथा सुनी यह दिन शिवरात्रि का दिन था। कुछ समय बाद साहूकार ने एक दिन के अंदर पैसे चुकाने का वचन लेकर शिकारी को छोड़ दिया।
शिकारी सीधे जंगल में जाकर शिकार की तलाश में एक बिल्वपत्र के वृक्ष पर बैठ गया। और पशुओं का इंतजार करता करता बिल्व के पत्ते तोड़-तोड़ कर नीचे पटकने लगा। उस पेड़ के निचे एक शिवलिंग था वो बिल्वपत्र सीधे जाकर उस शिवलिंग पर पड़ने लगे।
अचानक उसे एक हिरन दिखाई दिया उसने जैसे ही उसका शिकार करना चाहा तो उसे लगा की हिरण उसे मानव की आवाज़ में कुछ कह रहा है। वह हिरण गर्भवती थी उसने आग्रह किया की में बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास वापस आजाउंगी शिकारी को उस पर दया आ गयी उसने उसे छोड़ दिया।
फिर दूसरे, तीसरे और चौथे हिरण को भी किसी कारण से वापस आने का वचन लेकर छोड़ दिया। उसे लगा की कोई हिरण वापस नहीं आएगा परन्तु सभी हिरन वापस आ गये। शिकारी को अपने पुराने बुरे कर्म याद आये और उसने पशुहत्या न करने का प्रण किया। जाने अनजाने में उससे महा शिवरात्रि का उपवास हो गया था। जैसे ही उसने सभी हिरन को छोड़ा आकाश से पुष्प वर्षा होने लगी और सभी को मोक्ष मिला। जय महादेव शिव शंकर की।
भवनाथ महादेव मंदिर का Maha Shivratri Mela प्रत्येक वर्ष गिरनार पर्वत की तलहटी जो की गुजरात के जूनागढ़ से लगभग 8 किमी. दुरी पर स्थित है पर अति प्राचीन काल से लगता आ रहा है।
84 सिद्धों और 9 नाथों की नगरी कहे जाने वाले गिरनार की पवित्र भूमि के लगभग 53 एकड़ क्षेत्र में इस भव्य मेले का आयोजन होता है। महा शिवरात्रि के मेले में हजारों की तादाद में श्रद्धालु भोलेनाथ की विशेष महापूजा में सम्मिलित होने गुजरात के निकट के क्षेत्रों जैसे राजस्थान आदि से प्रतिवर्ष आते है।
एक कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती इस स्थल के ऊपर से आकाश मार्ग से गुजरने के दौरान उनका कोई दिव्य वस्त्र नीचे स्थित मृगी कुंड में गिर गया इसलिए नागा साधु महाशिवरात्रि के दिन यहाँ स्नान करके मेले की शोभायात्रा में सम्मिलित होते है।
वैसे तो अलग-अलग स्थानों पर महाशिवरात्रि व्रत के कई विधान प्रचलित है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जो सामान्यतः जो पूजा विधि और उपवास के नियम है उनको यहाँ बताने का प्रयास किया जा रहा है। अपने स्थानीय विद्वानों की सलाह अनुसार, पूजा, Mahashivratri Vrat Anushthan आदि का आयोजन किया जाना चाहिए।
सभी पाठकों एवं भक्तजनों को RSS WorldWide की ओर से 2021 महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ Wish You All Happy Mahashivratri.
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